यह बात हम लोग सोच रहे हैं किंतु बीजेपी ऐसे ही लोगों को प्रतिनिधित्व करने का मौका देने वाली है क्योंकि बीजेपी का एजेंडा है आदिवासी और आदिवासियों को भारत की भूमि से खत्म करना आदिवासी की संस्कृति और धर्म को खत्म करना ताकि आदिवासियों का संविधान एक अधिकार सुबह खत्म हो शासन की तमाम जनकल्याणकारी योजना निजी हाथों में पूंजीपति के हाथों में देखकर सामंतवाद लाना चाहते हैं ताकि संविधान में पांचवी छठी अनुसूची मैं प्रावधान आदिवासियों के तमाम वह अधिकार जो आदिवासियों को मूलनिवासी होने का स्वायत्त परिषद चलाने का हमारे गांव में हमारा राज की परिकल्पना को साकार दो रूप देने का अधिकार मिला है उसे खत्म करना उनका मेन मकसद है और हमारे ही समाज के बिकाऊ गुलामी स्वीकार करने वाले लोग आज भी उनके चमचे बनने के लिए आतुर है और ऐसे ही लोगों से हमारा समाज गुलाम हो सकता है हमेशा आदिवासी समाज विभिन्न साम्राज्यवादी ताकतों के खिलाफ हमारे पूर्वज संघर्ष कर अपनी जल जंगल जमीन और संस्कृति को बचाकर रखा है जिसकी बदौलत हम आज भारत भूमि में जल जंगल जमीन की रक्षा करते हुए अपना अस्तित्व बचा कर रखा है किंतु पूंजीपतियों की नजर हमेशा आदिवासियों की संपत्ति जल जंगल जमीन की ओर रही है वह ऐसे खत्म नहीं हो सकती जिसका मूल आधार है हमारा जोड़ी परंपरा जो आदि अनादि काल से non-judicial संस्कृति में रहा है जो मानव द्वारा कृत्रिम धार्मिक राजनीतिक व्यवस्था से अलग प्राकृतिक व्यवस्था आदिकाल से अपने समाज और जीवन का अभिन्न अंग मानकर प्राकृतिक सिद्धांत के अनुसार अनुसरण किया है जिसका वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार प्रकृति को बचाने वाला सिद्धांत सिद्ध हुआ है ऐसे प्रकृति द्वारा दिया हुआ सिद्धांत की रक्षा करने वाली आदिवासी संस्कृति को खत्म करने का षडयंत्र रचा जा रहा है ताकि हमारे समाज को संविधान में प्राप्त व अधिकार की सूची पांचवी और छठी में प्रावधान है उसे खत्म करना और आदिवासी की जल जंगल जमीन पर एकाधिकार पूंजीपति का कैसे हो यह धार्मिक राजनीतिक षड्यंत्र रूपी डाल के माध्यम से खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है हर आदिवासी समाज को इस मिठाई रूपी धार्मिक राजनीतिक षड्यंत्र को भलीभांति समझना पड़ेगा और हमारे भारत के मूल आदिवासी को तोड़ने का धार्मिक राजनीतिक षड्यंत्र चलाए जा रहा है कि हमारा समाज का भाई भाई में एकता को तोड़ दी गई है गांव में गांव का पटेल गांव का मुखिया तथा गांव के गणमान्य नागरिक द्वारा गांव की व्यवस्था का संचालन आदि काल से चला आ रहा है उसे कहीं न कहीं खत्म कर दिया जा रहा है और हमारा समाज इस षड्यंत्रकारी ताकत को समझ नहीं पा रहा है और धीरे-धीरे हमारे संवैधानिक अधिकार खत्म कर हमारे अस्तित्व को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है हमें एक साथ कहीं न कहीं बैठकर इस बात की ओर खोज करते हुए हमारे आदि अनादि काल से प्रकृति रक्षक रूडी प्रथा जिससे प्रकृति रक्षा का मूलाधार भी मान सकते हैं और प्रकृति रक्षा करने वाली संस्कृति इस धरती पर नहीं रहेगी तो प्राणी मात्र सर्वधर्म के इंसान को बहुत बड़ा खतरा होने वाला है हमें अपने धर्म संस्कृति को बचाने का हरसंभव प्रयास करने की बैठक करना चाहिए और अपने विवेक का प्रयोग करते हुए तर्कशील आदिवासी बनना पड़ेगा यह भेड़ चाल को छोड़ना पड़ेगा किसी ने कह दिया हमने मान लिया हमने अपने दिमाग का उपयोग करना बंद कर दिया तो वह दिन दूर नहीं भारत भूमि पर सिर्फ आदिवासी का प्रतीक चिह्न बचकर रह जाएगा बहुत बड़े चिंता का विषय है यह हम किसी भी धर्म किसी भी राजनीतिक से जुड़े क्यों न हो किंतु समाज से बड़ा कोई नहीं हो सकता है दुख सुख के समय हमारा समाज साथ में खड़ा होगा और समाज तभी बचेगा जब हमारी संस्कृति बचेगी स्वर संस्कृति को बचाने हेतु संविधान की पांचवी छठी अनुसूची का प्रावधान को भी हमें अध्ययन करना पड़ेगा उसके पहले non-judicial प्राकृतिक सिद्धांत जो आदिवासियों का उत्पत्ति से आज तक नहीं चला रहा है उसे बचाना पड़ेगा वरना हमें खत्म करने के लिए षड्यंत्रकारी रात दिन मेहनत कर रहे हैं और हमारे समाज सो रहा है जागने की जरूरत है और जगाने की जरूरत है तो आओ हम सब मिलकर अपने अस्तित्व अपनी संस्कृति और प्राकृतिक सिद्धांत को बरकरार रखकर प्राकृती प्राणी मात्र की रक्षा करें यह केवल आदिवासी की जवाबदारी नहीं है संपूर्ण प्राणी मात्र की जवाबदारी है जिसमें मानव जाति को छोड़कर सभी प्राणी ने प्राकृतिक सिद्धांत को अभी तक नहीं छोड़ा है किंतु मानव प्रकृति का इतना बड़ा दुश्मन बन चुका है की प्रकृति जिसके सहारे प्राणी मात्र जिंदा है उसी को खत्म करने की रणनीति पूंजीपति स्वार्थी भावना के कारण कर रहे हैं जिस नाम में हम बैठे हैं उसी नाव को छेद होने से बचाने के लिए समाज को वोट खड़ा होना पड़ेगा यह केवल आदिवासी समाज की चिंता नहीं है यह हर प्राणी मात्र की चिंता होना चाहिए कि हम राजनीतिक और धार्मिक अंधविश्वासी पर व्यवस्था से ऊपर उठकर प्रकृति को बचाने के सिद्धांत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर एकता के साथ अन्याय कार्य षड्यंत्रकारी ताकतों के खिलाफ एकता और संघर्ष का बिगुल बजाना पड़ेगा हर पढ़ा-लिखा वर्ग इस बात से अभी अनभिज्ञ हैं षड्यंत्रकारी शास्त्र और कथाओं की जाल में फंसता जा रहा है और वास्तविकता से हम हटते जा रहे हैं जिसका परिणाम हमारे अस्तित्व पर खतरा है और हम किसी षड्यंत्रकारी ताकत को समझ नहीं पा रहे हैं आज जिस बुलंद ज्वलंत समस्या के निदान का कोई काम नहीं करते हुए षड्यंत्रकारी ताकत की सरकार हमेशा भारत और भारत के मूल निवासियों को खत्म कर आर्यव्रत और मनुवाद का बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं जो भारत के मूल निवासी और अन्य समाज के अन्य धर्म के गरीब तबके के लोगों का बहुत बड़ा बड़ा खतरा है यह बात हमें समझना होगा यदि इस षड्यंत्रकारी ताकत को हमने बढ़ने दिया तो किसी भी धर्म का व्यक्ति जो मध्यम और गरीब वर्ग का है वह इस विनाश से बच नहीं सकता है धर्म की और राजनीतिक लड़ाई सिर्फ दिखावा है लड़ाई असली तो अमीर और गरीब की है गरीब लोगों को लूट कर खत्म कर गरीबों की संपत्ति और अधिकार को हड़प कर पूंजीपति देश में अपना राज्य स्थापित करना चाहते हैं यहां धर्म हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई जैन बौद्ध पारसी का सिर्फ दिखावा है लड़ाई इस धरती की जल जंगल जमीन को पूंजीपति हड़पना चाहते हैं और उसी का षडयंत्र राजनीतिक और धार्मिक कार्यक्रमों के माध्यम से चलाया जा रहा है इतिहास साक्षी है जिस देश की सरकार चंद पूंजीपति के हाथ में होती है उस देश का नागरिक आजाद नहीं हो सकता लोकतंत्र को हमें बचाना है संविधान को बचाना है और non-judicial प्राकृतिक सिद्धांत को बचाकर संपूर्ण प्राणी मात्र की रक्षा करना है तो non-judicial प्राकृतिक सिद्धांत का बढ़ावा देना जरूरी है यह तो वर्तमान में चंद लोग देश को गुलाम बना रहे हैं और वह दिन दूर नहीं यदि हमने इस और ध्यान नहीं दिया तो गरीब लोग का अधिकार जो संविधान में दिया है संपूर्ण अधिकार जैसे मतदान करने का अधिकार निर्वाचन में चुनाव लड़ने का अधिकार नौकरी करने का अधिकार खत्म करके जल जंगल जमीन को हड़प कर मध्यम और गरीब वर्ग के लोगों को इस देश में गुलाम बना दिया जाएगा और आरक्षण के बाद कभी नहीं होगी और ना हम वोट डाल पाएंगे और सरकार चुनने का अधिकार पूंजीपति के हाथ में होगा और हमारे पसंद का नेता हम नहीं सुन पाएंगे यह बात राष्ट्रीय पार्टियों के माध्यम से कई वर्षों से चलाई जा रही है जनता द्वारा पसंद व्यक्ति को पार्टी अपना उम्मीदवार नहीं बनाती है और पार्टी अपने पसंद का व्यक्ति जो उनकी गुलामी करें ऐसे व्यक्ति को टिकट देकर अपना उम्मीदवार बनाती है जिससे हमारे समाज के लिए संघर्षरत व्यक्ति राज्यसभा विधानसभा और लोकसभा में नहीं पहुंचे ऐसा षड्यंत्र चलाकर एक छत्र सत्ता में राष्ट्रीय पार्टियां काम चला रही है जिस कारण से गरीबों को सभी तरह के कानूनी दांवपेच में फंसा कर कानून का उपयोग गरीबों को परेशान करने और खत्म करने के लिए किया जा रहा है पूंजीपति कितना भी बड़ा हत्यारा क्यों ना हो कितना भी बड़ा लूटेरा क्यों ना हो कितना भी बड़ा अन्याय कारी क्यों ना हो उसकी सुरक्षा हो रही है आज भारत में करोड़ों अरबों रुपए बैंकों से लेकर विजय माल्या मेहुल चौकसी अरशद मेहता जैसे गांव गांव में गांव से लगाकर पूरे देश में खेल चुके हैं जो सरकार की राशि का दुरुपयोग कर जनता के हक का पैसा लूट कर पूंजीपति बंद कर गरीबों को डराने धमकाने का काम करते हैं मर्डर करते हैं लूटते हैं और सरकारी गरीबों के उत्थान की राशि को कहीं न कहीं ठेकेदार बनकर सरकारी बजट को अपने खाते में डाल लेते हैं जिस कारण से आज देश की योजना सिर्फ कागजों पर सिमट कर रह जाती है धरातल पर इसका कोई परिणाम नहीं दिख रहा है रोटी कपड़ा मकान और शिक्षा रोजगार जैसी व्यवस्था से सरकार मोहम्मद रही है हमेशा धर्मा राजनीतिक का हवाला थोपा जा रहा है और विकास की बातें को दबाई जा रही है और भारत के लोग गरीब और गरीब होते जा रहे हैं अमीर अमीर होते जा रहे हैं और कानून को साइड में रख कर अन्याय से पूरे देश पर कब्जा जमा रहे हैं किंतु हमारा समाज धर्म और राजनीति के छुटाद अंबर में हंसकर आपसे लड़ाई से फुर्सत नहीं मिल रही है इसलिए हमें हर संभव भारत के चाहे वह किसी भी धर्म का व्यक्ति क्यों ना हो गरीब और मध्यम वर्ग को एक होना पड़ेगा तभी हम अपने अधिकार को बचा पाएंगे वरना यह बड़े पार्टी के लोग स्वार्थ और पद की लालच में अपना पैंतरा बदलते देख रहे हैं उन्हें देश और देश के गरीबों की कोई पढ़ी नहीं है देश की सुरक्षा की कोई परी नहीं है जब एक समय था भारत में व्यापार करने के लिए विदेशी लोग आए और देश को गुलाम बनाकर राज किया और भारत जो सोने की चिड़िया कहलाता था उससे गरीब बना दिया देश के पूंजीपति साम्राज्यवाद की स्थापना की जा रही है जान देश का लोकतंत्र और संविधान खतरे में हैं और बुनियादी अधिकार खतरे में है मौलिक अधिकार खतरे में है जिसकी लाठी उसकी भैंस की कहावत इस देश में सिद्ध हो रही है अमीर लोग कितना भी बड़ा गुनाह कर ले कानून से उसको सजा नहीं मिल रही है और गरीब लोग अपना पेट के लिए छोटी मोटी गलती कर लेते हैं उन्हें सजा मिलती है ऐसी सारी बातों को हमारे भारत के मध्यम और गरीब वर्ग के तमाम धर्म को मानने वाले लोग को एकजुट होना होगा नहीं तो यह पूंजीपति लोग भारत के मध्यम और गरीब लोगों को खत्म कर देंगे यह चिंता हर भारतीय को होना चाहिए यह मैं राजनीतिक नहीं कर रहा हूं मैं देश के उन तमाम मध्यम और गरीब वर्ग की जनता के भविष्य के खतरे को समझकर अपने विवेक से सोच समझकर यह बात लिख रहा हूं और आप सब लोगों को मेरी बातों पर सोच समझ कर उचित लगे तो अधिक से अधिक तमाम ऐसे सिद्धांत जिस कारण से हमारा मध्यवर्ग और गरीब पिस्ता जा रहा है उसके विरुद्ध संघर्ष के लिए एकजुट होने का प्रयास संगठनों के माध्यम से करें सभी समाज सभी धर्म के गरीब लोगों में धार्मिक राजनीतिक समाज सेवी संगठन बनकर धरातल पर अपनी समस्याओं से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं उन समाज के सभी धर्म के संगठनों उसको मैं भगवान करना चाहता हूं कि हम सब की समस्या एक है तो उस समस्या के निदान अलग-अलग लेकर नहीं कर सकते इसलिए समस्या का निदान एकता से होगा मध्यमवर्ग गरीब वर्ग के लोगों से मेरा पुनः विनम्र निवेदन और आह्वान है कि देश में जितने भी निस्वार्थ भाव से समाज और देश को उत्थान के रूप में देखना चाहते प्रगति के रूप में देखना चाहते हैं तो हम सब संगठन के पदाधिकारी और समाज तथा देश के शुभचिंतक संगठन एक होकर सामंतवादी पूंजीपति ताकतों के खिलाफ एकता का बल बजाना पड़ेगा तथा अन्याय के खिलाफ उठ खड़ा होना पड़ेगा और सब भारतीय तैयार हो जाओ इन पूंजीपति अन्याय कार्य ताकतों के खिलाफ और अपने समाज और अस्तित्व को बचाते हुए रोटी कपड़ा मकान रोजगार शिक्षा जैसे ज्वलंत समस्याओं से ऊपर उठने की कोशिश करें एकता में बल होता है एकता से हम नामुमकिन को मुमकिन में बदल सकते हैं यदि हम अलग-अलग लड़ते रहेंगे तो भारत देश का इतिहास गवाह है फूट डालो और राज करो की षड्यंत्रकारी ताकत ताकत ने समय-समय पर देश को गुलाम बनाया है और उसका परिणाम हमारे पूर्वज ने भुगत कर दो से ऊपर उठने के लिए तन मन धन को देश के लिए समर्पित किया था और उसका परिणाम हम आजादी समझ रहे थे लेकिन आजाद भारत में भी हम गरीब तमाम धर्म के तमाम राजनीतिक के मानने वाले लोग गुलाम हैं आज हम आजाद नहीं है 15 अगस्त सिर्फ दिखावे का पर्व बनकर रह गया है आजादी हमारे कोसों दूर हो गई है 75 साल बीत चुके हैं लेकिन भारत में गरीबी और गरीब खत्म नहीं हुए हैं और अमीर हमेशा अमीर बनते गए हैं यह बहुत बड़ा हमारे लिए चिंतनीय विषय है जब अमीर लोग अमीर बन रहे तो गरीब लोग भी सुख शांति से जिए इतनी व्यवस्था क्यों नहीं कर पा रहा है अमीरों के पास हजारों एकड़ जमीन तथा कई मकानों के मालिक और पूंजी अजूबा संपत्ति के मालिक बन चुके हैं किंतु भारत का गरीब तत्व का जो आज भी रोटी कपड़ा मकान शिक्षा रोजगार के लिए दर-दर भटक रहा है लाइन में खड़ा है और सरकारें इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं सरकार तो विदेशों से पूंजीपति को भारत में निवेश के लिए बुला रहा है एक कंपनी विदेशी व्यापार करने के लिए आए थे और देश को गुलाम बनाकर 200 साल राज कर लिया राजाओं को गुलाम बना लिया और आज की सरकार हजारों कंपनियां को देश में पूंजी निवेश करने के लिए बुला रही है तो स्वयं सोच लो कि देश हजारों कंपनी का गुलाम बन जाएगा यहां की भूमि पूंजीपति के कब्जे में हो जाएगी विदेशी कंपनियों के कब्जे में हो जाएगी और भारत का वह गरीब तत्व का उन कंपनियों का मजदूर बनकर रह जाएगा और जिस दिन हम मजदूर बनकर देश में रहेंगे तो भविष्य में यह लोकतंत्र की शासन व्यवस्था और संविधान खत्म हो जाएगा और मतदान करने का नौकरी करने का राजनीति करने का अधिकार हमारा खत्म हो जाएगा उसके बाद ना तो हम लड़ पाएंगे और ना ही हम आवाज उठा पाएंगे नहीं हम संगठन बना पाएंगे तब हमारा धर्म और राजनीति का जो मामला है वहां दूर-दूर तक नजर नहीं आएगा और हम बेसहारा हो जाएंगे और पूंजीपति का जाती पाती और धर्मा से लेना देना नहीं है वह किसी भी धर्म का मानने वाला किसी भी राजनीतिक का मानने वाला होगा गरीब अमीर का दुश्मन बन जाएगा और अमीर लोग की एक बहुत बड़ी ताकत हो जाएगी और देश विदेशों में उनका जाल फैल जाएगा और हर देश का वह गरीब व्यक्ति गुलामी में अपना अस्तित्व बचाने का संघर्ष कर रहा होगा तब तक हम खत्म होने की कगार पर आ जाएंगे इसलिए जाती पाती धर्म ऊंच-नीच राजनीति से ऊपर उठकर मानव मात्र एक होकर भारत देश के उन तमाम गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को एक होकर इस चोटी लुटेरे पूंजीपति सामंतवादी ताकत के खिलाफ एक मंच पर आना होगा और अपने अधिकारों को बचाना होगा अपने अस्तित्व को बचाना होगा अपनी जल जंगल जमीन को बचाना अपने रोजगार को बचाना होगा अपनी शिक्षा को बचाना होगा नहीं तो अस्तित्व खतरे में है मेरे इस लेख में कोई अब यह वैज्ञानिक बात दीक्षा गई हो तो कृपया मुझे सुझाव देने का कष्ट करें जय भारत जय प्रकृति एवं गरीब समाज में एक छोटा सा भारत का नागरिक शमशेर सिंह पटेल मोबाइल नंबर 6265 2855 77
पूंजीपतियों की नजर हमेशा आदिवासियों की संपत्ति जल जंगल जमीन की ओर रही है वह ऐसे खत्म नहीं हो सकती जिसका मूल आधार है हमारी परंपरा जो